19 जनवरी की वो काली रात जिसे आज भी नही भूल पाए है कश्मीरी पंडित
घाटी में अक्सर आतंकी वारदात की घटनाएं सामने आती रहती है, जिसे सुनने वालो की रूह काँप जाती है पर कश्मीर के इतिहास में 19 जनवरी न केवल कश्मीरी पंडितो के लिए वरन् भारतीय इतिहास मे भी काला दिन माना जाता है, इस दिन 95℅ कश्मीरी पंडित कश्मीर से पलायन कर गए थे,
कश्मीरी पंडितों के जहन पर आज भी धर्म के नाम पर हुई बर्बरता का जिक्र होते ही उनकी आँखें नम हो जाती है ,
19 जनवरी 1990 की सर्द सुबह थी, आस-पास के सभी कश्मीरी पंडित या तो सामान पैक कर रहे थे या तो जा रहे थे,क्योकि उन्हे हर तरफ मस्जिद पे लगे लाउड स्पीकर से अल्लाह हू अकबर की आवाज़ के साथ ही “या तो धर्म परिवर्तन करो , या पलायन करो या तो मर जाओ” और “कश्मीर बनेगा पाकिस्तान मगर हिंदू औरतों के साथ” का फरमान जारी किया जा रहा था.
5 लाख की आबादी से अचानक 9 हजार की संख्या पे कश्मीरी पंडितों का आ जाना आतंकवादियों की बर्बरता को ही बयां करता है जिसमे स्थानीय पुरुषों के साथ महिलाओ का भी हाथ था, जिन्होंने बस धर्म के लिए सारी सीमाएं लांघ दी, हिंदू पुरुषों को मारा गया या काट दिया गया, महिलाओं के साथ बलात्कार हुए और उन्हे जिंदा जला दिया गया, हिंदू घरों पे निशान बनाये गए जिसको खाली करने का आदेश दिया गया और हज़ारों की भीड़ ने भीषण नरसंहार किया
हालांकि article370 से ही हिंदू कश्मीरी पंडितों की आस जागी मगर आज भी लाखों कश्मीरी पंडित अपने घर की तरफ लौटने की आस और न्याय मिलने की आशा मे बैठे हुए है जो या तो छिपकर रह रहे है या अपने ही देश मे शरणार्थी बनकर जी रहे है.