नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती आज
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कौन नहीं जानता है उन्होंने ही जापान के साथ मिलकर सर्वप्रथम आजाद हिंद फौज का गठन किया था जिसमें म्यांमार से लेकर जापान भारत और इंग्लैंड तक के सैनिक शामिल होकर भारत को आजाद कराने के लिए प्रतिबद्ध हो चुके थे ऐसे महान नेता कभी-कभी ही पैदा होते हैं हम माने या ना माने लेकिन नेताजी का भी बहुत बड़ा हाथ था भारत को आजाद कराने में जो कि उन्होंने भारत से बाहर निकलकर कूटनीति रूप से किया था। आज अनेक हस्तियां उन्हें इस मौके पर याद करते हुए उनकी गाथाओं को अपने जीवन में उतारने का प्रयास कर रही है।
जन्म तथा जीवन:
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी को कटक उड़ीसा हुआ था इनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस तथा माता का नाम प्रभावती देवी था इनके पिता कटक के सुप्रसिद्ध वकील थे सुभाष चंद्र बोस जी कुल मिलाकर 14 भाई-बहन थे इनकी शिक्षा दीक्षा प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता से संपूर्ण हुई थी पूरे कॉलेज में प्रथम आने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने अपने परिवार की इच्छा अनुसार आईसीएस की भी परीक्षा पास की थी परंतु उनके ऊपर देशबंधु चितरंजन दास का गहरा प्रभाव था वह उनके दिमाग में स्वामी विवेकानंद तथा अरविंद घोष के ही विचार चलते रहते थे इसी विचार से उन्होंने अंग्रेजों की नौकरी को छोड़ देने का निर्णय बनाया तथा शीघ्र ही त्यागपत्र दे दिया उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर कोलकाता के महापौर के रूप में कार्य किया तथा अंग्रेजों के कार्य नीति का ढांचा ही बदल डाला शीघ्र ही वह देश में एक शीघ्र नेता के रूप में प्रचलित हुए परंतु भगत सिंह की फांसी को रोकने के लिए उन्होंने कई उपाय किए जिसमें गांधी जी का तथा कांग्रेस का साथ ना मिलने पर वह बहुत आहत हुए और उन्होंने कांग्रेस को भी छोड़ दिया। उन्होंने ‘दिल्ली चलो’ तथा ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ जैसे सुप्रसिद्ध नारे दिए जो कि आज भी हमारी रगों में आजादी का जोश भर देते हैं। वह अपने घर में कई बार अंग्रेजी सरकार द्वारा नजरबंद भी किए गए थे जिसके कारण उन्होंने कलकत्ता छोड़ दिया और रहस्यमय तरीके से गायब हो गए उनकी मौत आज भी रहस्य बनी हुई है कोई कहता है कि उन्हें रूस में नजरबंद किया गया था और कोई कहता है कि एक विमान हादसे में ही उनकी मृत्यु हो गई है ।
125 वी जयंती पर आज लगेगी इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अमूल्य योगदान के कारण ही दो हजार अट्ठारह से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को पराक्रम दिवस मनाने का निर्णय लिया तथा आज 125 वीं जयंती के अवसर पर इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा लगाई जाएगी परंतु जब तक प्रतिमा तैयार नहीं होती है तब तक उनकी होलोग्राम को इंडिया गेट पर लगाया जाएगा जिससे नेताजी के अमूल्य योगदान को हम हमेशा याद रखें