रिलीज होते ही मचा दी धूम “रॉकेट बॉयज” ने!
अभय पन्नू द्वारा लिखित और निर्देशित रॉकेट बॉयज सीरीज इंडिया के परमाणु शक्ति बनने की तरफ के सफर को दिखाती है 8 एपिसोड की यह सीरीज कहीं भी अपने मुद्दे से नहीं भटकती है वह चाहे पन्नू द्वारा लिखी गई बंधी हुई स्क्रिप्ट हो या कलाकार जिम सर्भ द्वारा होमी जहांगीर भाभा का सूट बूट वाला अवतार हो वही इस ईश्वर सिंह द्वारा निभाया गया विक्रम साराभाई का रोल भी सादगी से भरपूर और भारतीय अवतार में एक ब्रिलियंट साइंटिस्ट की तरह उभरा हुआ है वही एक रोल में एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय भी काबिले तारीफ है कुल मिलाकर फिल्म में बंधी हुई स्क्रिप्ट के दम पर कलाकारों ने इसे और भी जीवंत बना दिया है।
रॉकेट बॉयस की यह कहानी वहां से शुरू होती है जब भारत द्वितीय विश्वयुद्ध की छती और ब्रिटिश साम्राज्य के शासन से हुई खामियों से जूझ रहा था तभी परमाणु बम जैसी निंदनीय घटना ने हिरोशिमा और नागासाकी को लगभग गायब ही कर दिया था और जहां चाइना और रूस जैसे देश महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर हो रहे थे जिनके परमाणु परीक्षण शुरू हो ही चुके थे तभी भारत को जरूरत थी एक ऐसे ही बड़े परमाणु परीक्षण की तब होमी जहांगीर भाभा कैंब्रिज विश्वविद्यालय में रिसर्च कर रहे थे अब भारत आते ही सीवी रमन की देखरेख में उन्होंने भारत को सुपर शक्ति बनाने की ओर विक्रम साराभाई के साथ मिलकर उन्हें एक अच्छे गुरु की तरह से मार्गदर्शन किया
फिल्म के कुछ कुछ हिस्से काफी अच्छे हैं जैसे एक छोटे रोल में यंग अब्दुल कलाम की झलक हो या विक्रम साराभाई होमी भाभा और एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा पंडित जवाहरलाल नेहरू से फंड और रिसर्च के लिए अनुमति मांगने संयुक्त मीटिंग में जाना हो कलाकारों ने वास्तव में फिल्म के कुछ कुछ हिस्से को एकदम से जीवंत बना दिया है
यह सीरीज एक टिपिकल बॉलीवुड ड्रामे से या खून खराबे से बिल्कुल हट कर एक सच्चाई को बयान करती हुई भारत के असली समाज को दिखाती है जहां साराभाई की पत्नी के रूप में मृणालिनी का रोल भी काबिले तारीफ है एक छोटे रोल में ही उन्होंने उस समय की स्त्रियों की दशा का भी बखान किया है और वही विक्रम साराभाई के आदर्श और त्याग और उनके गुस्से वाले चेहरे कुछ वक्त स्वार्थी और कुछ वक्त लाचार को भी बयां किया।
अगर आप अपने भारत के गौरव पर गर्व करते हैं तो आपको एक बार इस सीरीज को जरूर देखना चाहिए