पीएम मोदी ने किया संत का सम्मान
पीएम मोदी ने 5 फरवरी को बसंत पंचमी के मौके पर संत रामानुजाचार्य स्वामी की प्रतिमा का अनावरण किया यह मूर्ति दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बैठी हुई मूर्ति के रिकॉर्ड के लिए दर्ज हो चुकी है गिनीज बुक में यह अष्ट धातु की सबसे बड़ी प्रतिमा के तौर पर दर्ज है।
रामानुजाचार्य एक वैष्णव संत थे जिन्होंने सभी वर्गों के बीच सामाजिक समानता लाने के लिए समाज के सभी जातियों के लिए मंदिर के दरवाजे खोलने का प्रयास किया तथा सब को प्रोत्साहित किया क्योंकि उस समय कई जाति के लोगों को मंदिर में घुसने नहीं दिया जाता था।
सन 1017 में श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य 1 वैदिक दार्शनिक को समाज सुधारक थे उनके उपदेशों ने भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया उन्होंने आचार्य भक्त रामदास त्याग राज कबीर और मीराबाई के लिए प्रेरणा के स्त्रोत का काम किया रामानुजाचार्य आलू भंडार यमुनाचार्य के प्रधान शिष्य थे गुरु की इच्छा अनुसार रामानुजाचार्य ने उनसे 3 संकल्प लिए थे जो थे ब्रह्म सूत्र विष्णु सहस्त्रनाम द्रव्य प्रबंधन नाम की टीका लिखना उन्होंने गृहस्थ त्याग कर संन्यास की दीक्षा ग्रहण करनी थी रामानुजाचार्य ने 12 वर्षों तक वैष्णो धर्म का प्रचार करने के बाद सन 1137 में ब्रह्म में विलीन हो गए ।
1000 करोड़ रुपए की लागत से बनी संत रामानुजाचार्य मंदिर में स्थापित मूर्ति को स्टैचू ऑफ इक्वलिटी के नाम से जाना जाएगा।