कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का पलायन का मुद्दा एक बार फिर गंभीर हो गया है
शोपियां में टारगेट किलिंग के ख़ौफ़ से घर छोड़ने वाले कश्मीरी पंडितों की ख़बर को अंग्रेज़ी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने विस्तार से खबर छापी हैं
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार शोपियां ज़िले के चौधरी गुंड गांव में करीब 50 घर हैं. यहां बुलेटप्रूफ़ वाहनों का बेड़ा और भारी संख्या में अर्द्धसैनिक बल के जवान तैनात हैं. लेकिन फिर भी गांववालों को ये सुरक्षा अब बेमानी लगती है
यहां दशकों से रह रहे कश्मीरी पंडित अब गांव छोड़कर जम्मू जा चुके हैं. अख़बार कहता है कि 18 अक्टूबर को जब संदिग्ध चरमपंथियों ने एक कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट को उनके घर के बाहर ही मार दिया, उसके बाद से अब तक 10 हिंदू परिवार गाँव छोड़कर जम्मू रवाना हो चुके हैं
एक गांव वाले ने अख़बार से बातचीत में कहा, “उन्होंने हमें बताया कि वो डर में जी रहे हैं और जम्मू चले जाएंगे. हम उन्हें रोकना चाहते थे, लेकिन नहीं कर पाए. हम जानते हैं कि उनके लिए यहाँ इस तरह की परिस्थितियों में रहना आसान नहीं है. हम आशा करते हैं कि वो कभी यहाँ वापस लौटेंगे.”
गाँव के हिंदू मंदिर के बाहर तैनात सैन्य बल के एक जवान ने अख़बार से कहा कि बीते तीन दिनों से एक के बाद एक कई हिंदू परिवार गाँव से जा रहे हैं. एक जवान ने कहा, “यहाँ एक अकेली हिंदू महिला बची थी, लेकिन आज सुबह वो भी जम्मू चली गईं.”
कश्मीर में फ़िलहाल फसल का समय है. गाँव छोड़कर जाने वाले हिंदू परिवार अपने मुसलमान पड़ोसियों से बगानों की देखरेख करने को कह कर गए हैं.
ज़िला प्रशासन ने डर से हिंदू परिवारों के पलायन की बात खारिज की है. प्रशासन ने बुधवार को एक बयान जारी कर के कहा है, “खेती का मौसम ख़त्म होने के बाद कई परिवार सर्दियों के आने से पहले पलायन करते हैं.”
बात सरहद पार
लेकिन गाँव छोड़कर परिवार के साथ जम्मू जाने वाले जवाहर लाल कहते हैं कि उन्होंने ख़ौफ़ में घर छोड़ा.
उन्होंने अख़बार को बताया, “32 साल में ये (भट की हत्या) हमारे गाँव में इस तरह का पहला मामला था. इसने बहुत डर पैदा कर दिया. हम गाँव छोड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन हम और क्या कर सकते थे. हम जम्मू पहुँच गए हैं और इधर-उधर भटक रहे हैं.”
त्रिलोक चंद नाम के शख्स ने भी अख़बार को बताया कि उन्होंने भट की हत्या के बाद डर से गाँव छोड़ा है. उन्होंने कहा, “हम अपने पड़ोसियों को दोष नहीं दे सकते, हम उनके साथ भाई-भाई की तरह रहे हैं. लेकिन इस हत्या के बाद डर का माहौल था. इसलिए हमने गाँव छोड़ने का फ़ैसला किया. हम जल्द वापसी की उम्मीद करते हैं.”
इलाके के मुसलमान भी इस हत्या को ही पलायन के लिए दोष देते हैं. एक मुस्लिम महिला ने अख़बार से कहा, “कुछ लोग सर्दी के मौसम में जम्मू जाते थे, ख़ासतौर पर वो जो बूढ़े और कमज़ोर हैं. लेकिन बाकी लोग यहीं रहते थे. इस बार, वो सब गाँव छोड़कर चले गए हैं.”