सूरज पर शोध मे हासिल हुई उपलब्धि!
ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा सूरत की तकनीक पर आधारित परमाणु संलयन यानी न्यूक्लियर फ्यूजन को अंजाम देने वाले प्रयोग को दर्शाने के लिए एक रिएक्टर को बनाने में सफलता हासिल कर ली है जिससे अपार ऊर्जा निकलती है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के पास ही किए गए प्रयोग के दौरान 59 मेगाजूल इस रिएक्टर से निकली है जो दुनिया में अपने आप में एक रिकॉर्ड है इतनी मात्रा में ऊर्जा पैदा करने के लिए 14 किलो टीएनटी का उपयोग करना पड़ता है इस शानदार प्रयोग को जॉइंट यूरोपियन टूरस में कूल्हेम में अंजाम दिया है ,साइंटिस्ट ने इस उपलब्धि को मील का पत्थर बताते हुए कहा कि इसकी मदद से सितारों की ऊर्जा का दोहन किया जा सकेगा और धरती पर सस्ती व साफ ऊर्जा मिलने का रास्ता और साफ होगा इस प्रयोगशाला ने 59 मेगा जूल ऊर्जा पैदा करके 1997 में बनाया गया अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया ब्रिटेन के परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण ने बुधवार को इस सफलतम प्रयोग का ऐलान करते हुए एजेंसी के द्वारा कहा गया कि 21 दिसंबर को आए परिणाम विश्व भर में परमाणु संलयन की तकनीक पर आधारित ऊर्जा के सतत और सुरक्षित आपूर्ति की क्षमता का प्रदर्शन किया जाना है ।
जेईटी प्रयोगशाला में लगाई गई टोकमैक् मशीन दुनिया में सबसे बड़ी और शक्तिशाली मशीन है जिसके अंदर ड्यूटीरियम और ट्राईटीएम भरा गया क्योंकि यह दोनों ही हाइड्रोजन के आइसोटोप से और ड्यूटीरियम को तो हैवी हाइड्रोजन भी कहा जाता है इसे सूरज के केंद्र की तुलना में 10 गुना ज्यादा गर्म किया गया था कि इससे प्लाज्मा बना सके इसे सुपरकंडक्टर इलेक्ट्रोमैग्नेट का प्रयोग करके एक जगह पर रखा गया था कि इसके घूमने पर अपार मात्रा में ऊर्जा निकले परमाणु संलयन से पैदा हुई है उसे सुरक्षित होती होकर यहां 1 किलोग्राम में कोयला तेल या गैस से पैदा हुई ऊर्जा की तुलना में 40 लाख गुना ज्यादा ऊर्जा पैदा करती है न्यूक्लियर फ्यूजन की तकनीक में ठीक उसी का प्रयोग किया जाता है जो सूरज गर्मी पैदा करने के लिए अपने सता पर उपयोग करता है।